पॉलिसी के उल्लंघन के मामलों में हम देखते हैं कि ऐसा कितना कंटेंट (जैसे पोस्ट, फ़ोटो, वीडियो या कमेंट) था, जिसे हमने हटाया और फिर बाद में उसे रीस्टोर कर दिया.
“रीस्टोर” करने से हमारा मतलब है, उस कंटेंट को Facebook पर वापस ले आना जिसे हमने पहले हटा दिया था या उस कंटेंट को दिखाना जिसे हमने पहले चेतावनी का लेबल लगाकर छिपा दिया था.
हम अपील करने के बाद रीस्टोर किए गए कंटेंट और बिना अपील के ही रीस्टोर कर दिए गए कंटेंट दोनों की रिपोर्ट बनाते हैं. हम कुछ कारणों से बिना अपील के भी किसी कंटेंट को रीस्टोर कर देते हैं, जैसे:
जब हमने एक ही कंटेंट की एक से ज़्यादा पोस्ट को हटाने में कोई गलती की हो. ऐसे मामले में उन सभी पोस्ट को रीस्टोर करने के लिए एक ही व्यक्ति को हमारे फ़ैसले के विरुद्ध अपील करनी होती है.
कभी-कभी हमें अपने रिव्यू की कोई गलती पकड़ में आ जाती है और पोस्ट करने वाले व्यक्ति की अपील से पहले ही हम उस कंटेंट को रीस्टोर कर देते हैं.
जब हमने दुर्भावनापूर्ण शेयर की गई लिंक वाली पोस्ट हटा दी हों और फिर हमें पता लगा हो कि वह लिंक अब नुकसानदेह नहीं है. ऐसे मामले में हम पोस्ट को रीस्टोर कर सकते हैं. यह बात खास तौर पर स्पैम के लिए बिल्कुल सही है.
इस मीट्रिक के बारे में ऐसा लग सकता है कि यह हमसे कंटेंट पर एक्शन लेते समय हुई गलतियों की संख्या बताता होगा. लेकिन जैसा कि ऊपर दिए गए दुर्भावनापूर्ण लिंक के उदाहरण में बताया गया है, पोस्ट को रीस्टोर करने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि हमसे कोई गलती हुई थी.
हम अपनी रिपोर्ट में हर तिमाही में, जैसे कि 1 जनवरी से 31 मार्च तक की अवधि में Meta द्वारा रीस्टोर किए गए कंटेंट की कुल संख्या बताते हैं. ध्यान रखें कि इसका मतलब यह है कि इस आँकड़े को देखकर यह नहीं कहा जा सकता कि उस तिमाही में कितने कंटेंट पर एक्शन लिया गया था या कितनी अपील की गई थीं. उदाहरण के लिए, हो सकता है कि जिस कंटेंट को इस तिमाही में रीस्टोर किया गया है, उसके लिए अपील पिछली तिमाही में की गई हो और हो सकता है कि जिस कंटेंट के लिए इस तिमाही में अपील की गई है, उसे अगली तिमाही में रीस्टोर किया जाए.